हैरान-परेशान इंसान ने कहा रोबोट से, बहुत हुआ यार, अब मैं तो बिखरना चाहूं, तू मस्त रह, तेरा सब सिस्टम फिट है, चलता रहेगा, रोबोट बोला-प्लीज, प्लीज, मुझे गढ़ने में जरा भी मजा गर आया हो, जरा भी अच्छा कुछ हुआ हो तो वादा करो कि बिखरना इखरना छोड़ जिंदगी जिओगे, रचोगे और भी…
इंसान को लगा, रोबोट की इतनी तो मान लेनी चाहिए, कहा- चल वादा किया…
रोबोट को लगा चाँद धरती पर उतर आया है, कोशिश की इंसानों की तरह उछलने की…
लेकिन शरीर वैसे नियमरहित ढंग से नहीं, सधे-बधे ढंग से ही हिला…जैसे रोबोट के शरीर को हिलना चाहिए…
इसके बाद का हवाल कह नहीं सकता, रोबोट मशीनी तेजी से चलता ओझल हो गया मेरी आँखों से कह नहीं सकता उसकी आँखों के बारे में कि चमक रही थीं, या झर रही थीं…